शनिवार, 23 दिसंबर 2017

कमला कॉलेज के आलोक को एपीएस के 6वें दीक्षांत समारोह में मिला स्वर्ण पदक




महामहिम के हाथों मिला स्वर्ण पदक
राजकपूर चितेरा ( एसजीई न्यूज़ नेटवर्क)
      सीधी। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के 6वें दीक्षांत समारोह में शनिवार को कुलाधिपति राज्यपाल ओपी कोहली ने नगर के कमला मेमोरियल कालेज के एम.कॉम विभाग के छात्र आलोक ओझा को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। गौरतलब है कि आलोक ने एम.कॉम. विषय में सर्वाधिक 82 फीसदी अंको के साथ पूरे विश्वविद्यालय में टॉप किया था। इस सम्मान से न केवल जिले का मान बढ़ा बल्कि परिजनों व गुरुजनों की भी खुशी का ठिकाना नहीं है।
         एपीएस विश्वविद्यालय के पंडित शम्भूनाथ शुक्ल सभागार शनिवार को सम्पन्न हुए 6वें दीक्षांत समारोह में वाणिज्य की परास्नातक डिग्री पाठ्यक्रम में आलोक को महामहिम के द्वारा स्वर्ण पदक एवं प्रशास्ति पत्र प्रदान किया गया। आलोक ने अपनी इस सफलता का श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता और शिक्षक प्रोफेसर को देते हुए कहा कि इस पदक को पाकर उन्हें गौरव की अनुभूति हो रही है। मूलतः जिले के गोपद बनास तहसील के बिसैधा ग्राम के निवासी आलोक बचपन से ही मेधावी छात्र हैं। स्कूली शिक्षा नगर के श्री गणेश हायर सेकेंडरी स्कूल पड़रा में पूर्ण करने के पश्चात स्नातक जबलपुर के सेंट अलासियरन कॉलेज से किया। तत्पश्चात उन्होंने परास्नातक जिले के कमला कॉलेज में दाखिला लिया। आलोक के पिता रामनाथ शर्मा सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। उनकी माता पुष्पा शर्मा एक गृहरणी हैं। तीन भाइयों में आलोक मझले हैं। बड़े भाई अरुण ओझा नगर के श्री गणेश ग्रुप में मैनेजर के पद पर कार्यरत है एवं छोटे भाई अरविंद ओझा छात्र हैं।
उधर कमला कालेज के संचालक नीरज शर्मा ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का विषय है। हमें अगर जिन्‍दगी में सफलता पानी है, हमें अगर जिन्‍दगी में बदलते युग के साथ अपने आप को समकक्ष बनाए रखना है तो उसकी पहली शर्त होती है। हमारे भीतर का जो विद्यार्थी है वो कभी मुरझा नहीं जाना चाहिए, वो कभी मरना नहीं चाहिए। दुनिया में वो ही इस विशाल जगत को, इस विशाल व्‍यवस्‍था को अनगिनत आयामों को पा सकता है, कुछ मात्रा में पा सकता है जो जीवन के अंत काल तक विद्यार्थी रहने की कोशिश करता है, उसके भीतर का विद्यार्थी जिन्‍दा रहता है। कहा कि जिन्‍दगी के हर कदम पर आप सफलता प्राप्‍त करे, यही मेरी आपको शुभकामनाएं हैं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद। इस  मौके पर गणेश शिक्षा समिति के अध्यक्ष एमपी शर्मा, प्राचार्य जेएन मिश्र, प्राचार्य महेंद्र तिवारी, प्रशासनिक अधिकारी एचएस पान्डेय, प्राचार्य सुनीता सक्सेना, प्रभाकर पान्डेय, प्रभात चौबे, आशीष मिश्र, राजकपूर चितेरा, अनिल नायर , केके गौतम , आरपी भट्ट, आकाश द्विवेदी ,स्वाति शुक्ला, ओपी शुक्ल, मनीष गिरी , हंसराज सिंह , धीरेंद्र शुक्ला , दिलीप सिंह परिहार , शैलजा शर्मा , प्रिया मिश्रा , पीएन सिंह , रंजना गुप्ता , विवेक यादव , पीयूष गुप्ता, नीलेश मिश्रा व अदिति सिंह बाघेल ने बधाई दी हैं।
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गुरुवार, 27 जुलाई 2017

Chitera made the patrets of His Excellency Kovind



The painter, Raj Kapoor Chite


ra, congratulated him on a large canvas on Tuesday, with the honorable President's portrait of oil painted through oil colors and best wishes. At the same time, the school's ninth-child-children made their memorial honorable by taking a symbol of nationalism from the tricolor. Chitra prepared this portrait photo in just 3 hours.

Coming out of the house of grass and clay walls, after reaching home in the country's largest house, Kovind ji proved that there is breath in honesty and hard work.
In such a way, Rajkumar Chitra has patented painting of His Majesty Ramnath Kovind ji in which the harmony of human life has been embellished. In the paintings made by Chhekara, the medium oil color is prepared in which the mixture of white and black colors is prepared. Where white color gives peace and comfort, black color symbolizes the auspicious energy. Believe it, an artist who wants to say something by carving his things through pictures. In the painting where His Majesty is showing simplicity, he is showing the same expectation from the new President to write a new comment.

On this occasion, Artist Raj Kappur Chhekara said that my intention behind creating His Majesty's Patraret was to give best wishes and congratulations. Chitera expressed hope and hope that Kovindji will always work for the betterment of the poor, the dalit and the disadvantaged. Through them social consciousness will be more developed. And hope is that in the form of the President, they will work in fair and national interest.

गुरुवार, 8 जून 2017

चित्रकार राज कपूर चितेरा

समाजिक सरोकार को दर्शाती राजकपूर चितेरा की पेंटिग 

        चित्रण कला के माध्यम से आगे बढ़ने को प्रयत्नशील' राजकपूर चितेरा’ कला के कई आयाम होते हैं. कभी कला जीवनयापन का माध्यम बनती है, तो कभी इंसान अपनी आत्मा को संतुष्ट करने के लिए कला को ही आधार बनाता है. समाज के उत्थान में भी कला महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हर व्यक्ति आज कला से किसी न किसी रूप से जुड़ना चाहता है. कुछ लोग कला का उपयोग मनोरंजन के लिए करते हैं, तो कुछ कला को हथियार बनाकर सामाज में व्याप्त बुराइयों पर प्रहार करते हैं ।

साक्षात्कार की इस कड़ी में आपका परिचय एक ऐसे ही युवा चित्रकार से करने जा रहा है जिसने अपने क्रिएटिव चित्रकारी से भारत के भविष्य की जो परिकल्पना की है वो अकल्पनीय है. इनका मानना है कि पेंटिंग सिर्फ घर में सजावट के काम नहीं आती बल्कि चित्रकला से चित्रकार वैसे ज्वलंत मुद्दों को प्रदर्शित करते हैं जो देश और समाज को प्रेरित करता है।
प्रस्तुत है अपनी अद्भुत चित्रकला के माध्यम से भारत के भविष्य का अविस्मरणीय चित्रण कर कला क्ष्रेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रयत्नशील उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले के सुलेमपुर परसावां निवासी 29 वर्षीय चित्रकार राजकपूर चितेरा चित्रकला के क्षेत्र में राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित करने के लिए कृतसंकल्प हैं । तमाम कठिनाइयों के बावजूद राजकपूर चितेरा ने अपने चित्रकला के जूनून को बरकरार रखा है. सरकार द्वारा कोई खास प्रोत्साहन नहीं मिलने के बावजूद भी राजकपूर अपने आत्मबल से चित्रकला में लगातार क्रिएशन करते आ रहे है ।
राजकपूर चितेरा को बचपन से ही अपनी भावनाओं को चित्रों में उतारने का शौक था ।जब राजकपूर तीसरी कक्षा में थे कला के प्रति रूचि होने के कारण वे अपने घर के दरवाजे के दोनों पल्लों एक पर पिता की तो दूसरे पल्ले पर माता की आदमकद छवि चित्र जली हुई लकड़ी कोयले से बनायीं थी ।जहा से राजकपूर को कला के प्रति काफी प्रोत्साहन मिलने लगा । राजकपूर ने बताया कि घर में चित्रकला के क्षेत्र में दूर- दूर तक कोई नाता नहीं था । पिता बाबुराम गुप्ता एक साधारण व्यपारी हैं । तीन भाइयों में राजकपूर मझले हैं । मेरे परिवार के लोगों ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया है. मेरे पिता और मेरे बड़े भाई ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया. चित्रकला की प्रदर्शनी लगाने में भाई और दोस्तों ने काफी आर्थिक मदद की । गांव से हाईस्कूल करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिये संगम नगरी इलाहाबाद आ गये ।चित्रकला विषय से परास्नातक करने के उपरांत इलाहाबाद विश्व्विद्यालय में चित्रकला विभाग के प्रोफेसर डॉ. श्यामबिहारी अग्रवाल जी के सानिध्य में रहकर कला को सवांरने लगा ।और कुछ ही समय में इस युवा चित्रकार ने अपनी कला के जरिये अलग पहचान बना ली । राजकपूर को संगीत गायन में भी रूचि हैं और  संगीत की बारीकियां पडरौना घराने के डॉ. पांडेय ओम प्रकाश मालिक ने से सीखी । उनकी पेंटिंग की अदभुत चित्रकारी से प्रभावित होकर उनके संगीत के गुरु श्री मालिक जी सन् 2007 में राजकपूर को चितेरा नाम दिया । वही नाम इस युवा कलाकार की पहचान बन गई । तब से चितेरा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा ।
2006 में महात्मा गांधी जी 140 वीं जयंती पर 140 फुट पेंटिंग मात्र 6 घंटे में बनाई थी । 2011 में किर्केट की दुनिया के भगवान कहे जाने वाले महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के 38 वें जन्मदिन के शुभ अवसर राजकपूर चितेरा ने बिना अन्न ग्रहण किये लगातार 38 घंटे कड़ी मेहनत के बाद 1500 फिट लम्बी पेंटिंग बनाकर सचिन को नायाब तोहफा दे चुके हैं ।इसी क्रम मे चितेरा द्वारा बनायीं 2013 में दिल्ली गैंग रेप पर कृति विश्व की प्रसिद्ध टाइम मैग्ज़ीन ( अमेरिका ) ने सम्मान देते हुए जगह दिया । इस उपलब्धि पर राजकपूर चितेरा ने बताया कि कोई भी कला शुरुआत में सपने की तरह दिखती है, पर कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास से हर कला को आत्मसात किया जा सकता हैं । हर काम को जूनून से करना चाहिए । आप सैंड आर्टिस्ट के रूप में भी जाने जाते हैं । राजकपूर हमेशा समाज को लेकर अपनी कृति को रूप देना चाहते हैं  । इलाहाबाद के संगम तट पर सैकड़ो रेत से बनी हुई कलाकृति की प्रदर्शन कर चुके हैं । जब भी कोई दिवस हो या को शुभ अवसर अथवा समाज से जुड़ीं जागरूकता कार्यक्रम हो तो आप हमेशा अग्रसर रहते हैं । देश के महान स्वतंत्रता सेनानी से लेकर आज के महान विभूतियों को संगम के किनारे रेत के द्वारा बना चुके हैं । पंडित जवाहरलाल नेहरू ,नेल्सन मंडेला , नरेंद्र मोदी , अमिताभ बच्चन , लता जी , अब्दुल कलाम जी सहित अनेको सैंड कृति बना चुके हैं । अगर पेंटिंग की बात की जाय तो उसमे आपका योगदान विशेष रहा हैं । बर्डफ्लू से कम नही जीवन की पीड़ा , वर्निंग ऑफ यूपी , शहीद ,  कॉन्फिडेन्स , अब्दुल कलाम,  सहित अनेको अनेक बनायी हैं । राजकपूर के कलाकृतियों को देश के विभिन्न समाचार पत्रों , इलेक्ट्रानिक न्यूज़ चैनलो सहित एफ एम चैनलो पर समय-समय पर प्रकाशित और प्रसारित होता रहता हैं ।
उनका मानना है कि संगीत में एक चमत्कारिक शक्ति होती है। गांव के मेलों से लेकर नदी के घाट और पशु पक्षियों तक में एक लय व ताल होती है। इसके जरिए रंगों में जीवंतता आती है। पेटिंग और कुछ नहीं बल्कि कविता का एक ऐसा वैकल्पिक माध्यम हैं जिसके जरिए आप अपने विचारों को कैनवास पर चित्रित कर सकते हैं। भावना से प्रेरित होकर उन्होंने जीवन के विभिनन पहलुओं जिनमें पर्यावरणीय से लेकर सामाजिक समरसता तक शामिल है उन्हें उकेरा है। हम अपने जीवन को संगीत से अलग नहीं कर सकते। शायद यही वजह है कि उन्होंने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, पंडित रविशंकर, हरिप्रसाद चौरसिया के पोट्रेट बनाकर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित की है।
चितेरा को अब तक इलाहाबाद , लखनऊ , दिल्ली , चित्रकूट , बनारस , ललित कला अकादमी , अहमदाबाद , चंडीगढ़ सहित अनेको शहरों में स्वयं के चित्रों की प्रदर्शनी व देश की विभिन्न प्रदर्शनियों में हिस्सा ले चुके हैं । इसके लिए राजकपूर चितेरा राष्टीय स्तर के अवार्ड अथवा अनेक संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया जा चुका हैं । आज भी वे निरंतर कार्य में लगे हैं । एक अच्छा चित्रकार वही माना जाता है जो कि हमेशा एक जैसी शैली अपनाए रखता है। समाज में बढ़ती जागरुकता के कारण अब गिलहरी के बालों से तैयार किए जाने वाला ब्रश भी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। इस सबके बावजूद समाज का एक बड़ा वर्ग अब पेंटिग में निवेश करने लगा है। इन्हें भी बहुमूल्य रत्नों की तरह खरीदा जाने लगा है। बड़े घराने व कारपोरेट समूह इसमें विशेष रुचि ले रहे हैं। उनका मानना है कि जब समाज में असहिष्णुता का माहौल बढ़ रहा है तो सामाजिक समरसता लाने में कला बहुत अहम भूमिका अदा कर सकती है।कलाकार की सोच सार्थक हो मेरी ओर से यही शुभकामनाएं हैं ।
"कितना भी समेट लो..
हाथों से फिसलता ज़रूर है..
ये वक्त है, बदलता ज़रूर है..।"

रविवार, 21 मई 2017

🎂🎂🎁#Birthday_____Ankan_kapoor_Gupta....
Today !! On your first birthday we want to celebrate the miracle of your birth and new life by stuffing our faces in front of you...Congratulations on completing your first year! God bless you, dear ANKAN.....

गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

WORLDS GRETEST CRICKETERS SACHIN TENDULKAR 44TH BIRTHDAY

God of cricket Sachin Tendulkar on 44 of birthday greetings given by the picture



The world's greatest cricketers and that are timeless in the nation's highest civil Awards have been awarded ' India ' gem ' Master Blaster 'Tendulkar 44 years to today. This spot every year by their fan painter  Raj Kapoor chitera create their best by their birthday a special luxurious pituitary picture.

सोमवार, 3 अप्रैल 2017

"मेरा बेटा"  अंकन कपूर /

मेरा बेटा

जो कुछ दिन पूर्व ही
उछला करता था
गर्भ में मेरे
और मैं मोजे के साथ
सपने बुना करती थी

मेरा बेटा,
जब पहली बार माँ बोला था
मैं जा पहुँती थी कुछ क्षण
ईश्वर के समकक्ष...

मेरा बेटा
जब पहली बार घुटनों चला था
मैंने जतन से बचाये रुपए
बाँट दिए थे गरीबों में...

मेरा बेटा,
जब पार्क की हरी घास पर
बैठकर मुसकाता था
मुझे दिखते थे 
मन्दिर... मस्जिद... गुरुद्वारे

मेरा बेटा,
जब पहली बार स्कूल गया
उसके लौटने तक
मैं खडी़ रही
भूखी-प्यासी द्वार पर

मेरा बेटा,
जब दूल्हा बना
सौंप दिया स्वामित्व मैंने
उसकी दुल्हन के हाथ

मेरा बेटा,
जब पिता बना
पा लिया उसका बचपन
एक बार फिर मैंने 

और आज
मेरा वही बेटा
झल्लाता हैं
चिल्लाता हैं
'बुढि़या मर क्यों नहीं जाती'
क्योंकि टूट जाती है
उसकी जवानी की नींद
मेरे रात-भर 
खाँसने से...।


                - रंजना जायसवाल 

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017

कलाकार की कल्पना






बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो ।चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे ।।


कलाकार की कल्पना

कलाकार की सब से बड़ी शक्ति उसकी कल्पना होती है वो उसके सहारे नई दुनिया की सैर करता है और गुज़रे हुए वक़्त की परिस्थितियों को पूरी शिद्दत के साथ रचनात्मक बिसात पर फैलाता हैI बचपन, उसके जज़बात और एहसासात और उसकी मासूमियत का जो एक सच्चा वर्णन चित्रकृति में नज़र आता है, इसका कारण यह भी हैI हम बचपन और उसकी परिस्थितियों को महसूस कर सकते हैं ।                     @राजकपूर चितेरा 

PHOTOGRAPHY BY RAJKAPOOR CHITERA

कैंसर दिवस पर जागरूकता का संदेश देती छात्राएँ ।।         Photo: Rajkapoor Chitera

सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

साक्षात्कार:
समाजिक सरोकार को दर्शाती राजकपूर चितेरा की पेंटिग 

        चित्रण कला के माध्यम से आगे बढ़ने को प्रयत्नशील' राजकपूर चितेरा’ कला के कई आयाम होते हैं. कभी कला जीवनयापन का माध्यम बनती है, तो कभी इंसान अपनी आत्मा को संतुष्ट करने के लिए कला को ही आधार बनाता है. समाज के उत्थान में भी कला महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हर व्यक्ति आज कला से किसी न किसी रूप से जुड़ना चाहता है. कुछ लोग कला का उपयोग मनोरंजन के लिए करते हैं, तो कुछ कला को हथियार बनाकर सामाज में व्याप्त बुराइयों पर प्रहार करते हैं.

साक्षात्कार की इस कड़ी में आपका परिचय एक ऐसे ही युवा चित्रकार से करने जा रहा है जिसने अपने क्रिएटिव चित्रकारी से भारत के भविष्य की जो परिकल्पना की है वो अकल्पनीय है. इनका मानना है कि पेंटिंग सिर्फ घर में सजावट के काम नहीं आती बल्कि चित्रकला से चित्रकार वैसे ज्वलंत मुद्दों को प्रदर्शित करते हैं जो देश और समाज को प्रेरित करता है।

प्रस्तुत है अपनी अद्भुत चित्रकला के माध्यम से भारत के भविष्य का अविस्मरणीय चित्रण कर कला क्ष्रेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रयत्नशील उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले के सुलेमपुर परसावां निवासी 29 वर्षीय चित्रकार राजकपूर चितेरा चित्रकला के क्षेत्र में राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित करने के लिए कृतसंकल्प हैं । तमाम कठिनाइयों के बावजूद राजकपूर चितेरा ने अपने चित्रकला के जूनून को बरकरार रखा है. सरकार द्वारा कोई खास प्रोत्साहन नहीं मिलने के बावजूद भी राजकपूर अपने आत्मबल से चित्रकला में लगातार क्रिएशन करते आ रहे है ।

राजकपूर चितेरा को बचपन से ही अपनी भावनाओं को चित्रों में उतारने का शौक था ।जब राजकपूर तीसरी कक्षा में थे कला के प्रति रूचि होने के कारण वे अपने घर के दरवाजे के दोनों पल्लों एक पर पिता की तो दूसरे पल्ले पर माता की आदमकद छवि चित्र जली हुई लकड़ी कोयले से बनायीं थी ।जहा से राजकपूर को कला के प्रति काफी प्रोत्साहन मिलने लगा । राजकपूर ने बताया कि घर में चित्रकला के क्षेत्र में दूर- दूर तक कोई नाता नहीं था । पिता बाबुराम गुप्ता एक साधारण व्यपारी हैं । तीन भाइयों में राजकपूर मझले हैं । मेरे परिवार के लोगों ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया है. मेरे पिता और मेरे बड़े भाई ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया. चित्रकला की प्रदर्शनी लगाने में भाई और दोस्तों ने काफी आर्थिक मदद की । गांव से हाईस्कूल करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिये संगम नगरी इलाहाबाद आ गये ।चित्रकला विषय से परास्नातक करने के उपरांत इलाहाबाद विश्व्विद्यालय में चित्रकला विभाग के प्रोफेसर डॉ. श्यामबिहारी अग्रवाल जी के सानिध्य में रहकर कला को सवांरने लगा ।और कुछ ही समय में इस युवा चित्रकार ने अपनी कला के जरिये अलग पहचान बना ली । राजकपूर को संगीत गायन में भी रूचि हैं और  संगीत की बारीकियां पडरौना घराने के डॉ. पांडेय ओम प्रकाश मालिक ने से सीखी । उनकी पेंटिंग की अदभुत चित्रकारी से प्रभावित होकर उनके संगीत के गुरु श्री मालिक जी सन् 2007 में राजकपूर को चितेरा नाम दिया । वही नाम इस युवा कलाकार की पहचान बन गई । तब से चितेरा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा ।

2006 में महात्मा गांधी जी 140 वीं जयंती पर 140 फुट पेंटिंग मात्र 6 घंटे में बनाई थी । 2011 में किर्केट की दुनिया के भगवान कहे जाने वाले महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के 38 वें जन्मदिन के शुभ अवसर राजकपूर चितेरा ने बिना अन्न ग्रहण किये लगातार 38 घंटे कड़ी मेहनत के बाद 1500 फिट लम्बी पेंटिंग बनाकर सचिन को नायाब तोहफा दे चुके हैं ।इसी क्रम मे चितेरा द्वारा बनायीं 2013 में दिल्ली गैंग रेप पर कृति विश्व की प्रसिद्ध टाइम मैग्ज़ीन ( अमेरिका ) ने सम्मान देते हुए जगह दिया । इस उपलब्धि पर राजकपूर चितेरा ने बताया कि कोई भी कला शुरुआत में सपने की तरह दिखती है, पर कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास से हर कला को आत्मसात किया जा सकता हैं । हर काम को जूनून से करना चाहिए । आप सैंड आर्टिस्ट के रूप में भी जाने जाते हैं । राजकपूर हमेशा समाज को लेकर अपनी कृति को रूप देना चाहते हैं  । इलाहाबाद के संगम तट पर सैकड़ो रेत से बनी हुई कलाकृति की प्रदर्शन कर चुके हैं । जब भी कोई दिवस हो या को शुभ अवसर अथवा समाज से जुड़ीं जागरूकता कार्यक्रम हो तो आप हमेशा अग्रसर रहते हैं । देश के महान स्वतंत्रता सेनानी से लेकर आज के महान विभूतियों को संगम के किनारे रेत के द्वारा बना चुके हैं । पंडित जवाहरलाल नेहरू ,नेल्सन मंडेला , नरेंद्र मोदी , अमिताभ बच्चन , लता जी , अब्दुल कलाम जी सहित अनेको सैंड कृति बना चुके हैं । अगर पेंटिंग की बात की जाय तो उसमे आपका योगदान विशेष रहा हैं । बर्डफ्लू से कम नही जीवन की पीड़ा , वर्निंग ऑफ यूपी , शहीद ,  कॉन्फिडेन्स , अब्दुल कलाम,  सहित अनेको अनेक बनायी हैं । राजकपूर के कलाकृतियों को देश के विभिन्न समाचार पत्रों , इलेक्ट्रानिक न्यूज़ चैनलो सहित एफ एम चैनलो पर समय-समय पर प्रकाशित और प्रसारित होता रहता हैं ।

उनका मानना है कि संगीत में एक चमत्कारिक शक्ति होती है। गांव के मेलों से लेकर नदी के घाट और पशु पक्षियों तक में एक लय व ताल होती है। इसके जरिए रंगों में जीवंतता आती है। पेटिंग और कुछ नहीं बल्कि कविता का एक ऐसा वैकल्पिक माध्यम हैं जिसके जरिए आप अपने विचारों को कैनवास पर चित्रित कर सकते हैं। भावना से प्रेरित होकर उन्होंने जीवन के विभिनन पहलुओं जिनमें पर्यावरणीय से लेकर सामाजिक समरसता तक शामिल है उन्हें उकेरा है। हम अपने जीवन को संगीत से अलग नहीं कर सकते। शायद यही वजह है कि उन्होंने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, पंडित रविशंकर, हरिप्रसाद चौरसिया के पोट्रेट बनाकर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित की है।

चितेरा को अब तक इलाहाबाद , लखनऊ , दिल्ली , चित्रकूट , बनारस , ललित कला अकादमी , अहमदाबाद , चंडीगढ़ सहित अनेको शहरों में स्वयं के चित्रों की प्रदर्शनी व देश की विभिन्न प्रदर्शनियों में हिस्सा ले चुके हैं । इसके लिए राजकपूर चितेरा राष्टीय स्तर के अवार्ड अथवा अनेक संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया जा चुका हैं । आज भी वे निरंतर कार्य में लगे हैं । एक अच्छा चित्रकार वही माना जाता है जो कि हमेशा एक जैसी शैली अपनाए रखता है। समाज में बढ़ती जागरुकता के कारण अब गिलहरी के बालों से तैयार किए जाने वाला ब्रश भी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। इस सबके बावजूद समाज का एक बड़ा वर्ग अब पेंटिग में निवेश करने लगा है। इन्हें भी बहुमूल्य रत्नों की तरह खरीदा जाने लगा है। बड़े घराने व कारपोरेट समूह इसमें विशेष रुचि ले रहे हैं। उनका मानना है कि जब समाज में असहिष्णुता का माहौल बढ़ रहा है तो सामाजिक समरसता लाने में कला बहुत अहम भूमिका अदा कर सकती है।कलाकार की सोच सार्थक हो मेरी ओर से यही शुभकामनाएं हैं ।