मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017

कलाकार की कल्पना






बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो ।चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे ।।


कलाकार की कल्पना

कलाकार की सब से बड़ी शक्ति उसकी कल्पना होती है वो उसके सहारे नई दुनिया की सैर करता है और गुज़रे हुए वक़्त की परिस्थितियों को पूरी शिद्दत के साथ रचनात्मक बिसात पर फैलाता हैI बचपन, उसके जज़बात और एहसासात और उसकी मासूमियत का जो एक सच्चा वर्णन चित्रकृति में नज़र आता है, इसका कारण यह भी हैI हम बचपन और उसकी परिस्थितियों को महसूस कर सकते हैं ।                     @राजकपूर चितेरा 

PHOTOGRAPHY BY RAJKAPOOR CHITERA

कैंसर दिवस पर जागरूकता का संदेश देती छात्राएँ ।।         Photo: Rajkapoor Chitera

सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

साक्षात्कार:
समाजिक सरोकार को दर्शाती राजकपूर चितेरा की पेंटिग 

        चित्रण कला के माध्यम से आगे बढ़ने को प्रयत्नशील' राजकपूर चितेरा’ कला के कई आयाम होते हैं. कभी कला जीवनयापन का माध्यम बनती है, तो कभी इंसान अपनी आत्मा को संतुष्ट करने के लिए कला को ही आधार बनाता है. समाज के उत्थान में भी कला महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हर व्यक्ति आज कला से किसी न किसी रूप से जुड़ना चाहता है. कुछ लोग कला का उपयोग मनोरंजन के लिए करते हैं, तो कुछ कला को हथियार बनाकर सामाज में व्याप्त बुराइयों पर प्रहार करते हैं.

साक्षात्कार की इस कड़ी में आपका परिचय एक ऐसे ही युवा चित्रकार से करने जा रहा है जिसने अपने क्रिएटिव चित्रकारी से भारत के भविष्य की जो परिकल्पना की है वो अकल्पनीय है. इनका मानना है कि पेंटिंग सिर्फ घर में सजावट के काम नहीं आती बल्कि चित्रकला से चित्रकार वैसे ज्वलंत मुद्दों को प्रदर्शित करते हैं जो देश और समाज को प्रेरित करता है।

प्रस्तुत है अपनी अद्भुत चित्रकला के माध्यम से भारत के भविष्य का अविस्मरणीय चित्रण कर कला क्ष्रेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रयत्नशील उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले के सुलेमपुर परसावां निवासी 29 वर्षीय चित्रकार राजकपूर चितेरा चित्रकला के क्षेत्र में राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित करने के लिए कृतसंकल्प हैं । तमाम कठिनाइयों के बावजूद राजकपूर चितेरा ने अपने चित्रकला के जूनून को बरकरार रखा है. सरकार द्वारा कोई खास प्रोत्साहन नहीं मिलने के बावजूद भी राजकपूर अपने आत्मबल से चित्रकला में लगातार क्रिएशन करते आ रहे है ।

राजकपूर चितेरा को बचपन से ही अपनी भावनाओं को चित्रों में उतारने का शौक था ।जब राजकपूर तीसरी कक्षा में थे कला के प्रति रूचि होने के कारण वे अपने घर के दरवाजे के दोनों पल्लों एक पर पिता की तो दूसरे पल्ले पर माता की आदमकद छवि चित्र जली हुई लकड़ी कोयले से बनायीं थी ।जहा से राजकपूर को कला के प्रति काफी प्रोत्साहन मिलने लगा । राजकपूर ने बताया कि घर में चित्रकला के क्षेत्र में दूर- दूर तक कोई नाता नहीं था । पिता बाबुराम गुप्ता एक साधारण व्यपारी हैं । तीन भाइयों में राजकपूर मझले हैं । मेरे परिवार के लोगों ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया है. मेरे पिता और मेरे बड़े भाई ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया. चित्रकला की प्रदर्शनी लगाने में भाई और दोस्तों ने काफी आर्थिक मदद की । गांव से हाईस्कूल करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिये संगम नगरी इलाहाबाद आ गये ।चित्रकला विषय से परास्नातक करने के उपरांत इलाहाबाद विश्व्विद्यालय में चित्रकला विभाग के प्रोफेसर डॉ. श्यामबिहारी अग्रवाल जी के सानिध्य में रहकर कला को सवांरने लगा ।और कुछ ही समय में इस युवा चित्रकार ने अपनी कला के जरिये अलग पहचान बना ली । राजकपूर को संगीत गायन में भी रूचि हैं और  संगीत की बारीकियां पडरौना घराने के डॉ. पांडेय ओम प्रकाश मालिक ने से सीखी । उनकी पेंटिंग की अदभुत चित्रकारी से प्रभावित होकर उनके संगीत के गुरु श्री मालिक जी सन् 2007 में राजकपूर को चितेरा नाम दिया । वही नाम इस युवा कलाकार की पहचान बन गई । तब से चितेरा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा ।

2006 में महात्मा गांधी जी 140 वीं जयंती पर 140 फुट पेंटिंग मात्र 6 घंटे में बनाई थी । 2011 में किर्केट की दुनिया के भगवान कहे जाने वाले महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के 38 वें जन्मदिन के शुभ अवसर राजकपूर चितेरा ने बिना अन्न ग्रहण किये लगातार 38 घंटे कड़ी मेहनत के बाद 1500 फिट लम्बी पेंटिंग बनाकर सचिन को नायाब तोहफा दे चुके हैं ।इसी क्रम मे चितेरा द्वारा बनायीं 2013 में दिल्ली गैंग रेप पर कृति विश्व की प्रसिद्ध टाइम मैग्ज़ीन ( अमेरिका ) ने सम्मान देते हुए जगह दिया । इस उपलब्धि पर राजकपूर चितेरा ने बताया कि कोई भी कला शुरुआत में सपने की तरह दिखती है, पर कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास से हर कला को आत्मसात किया जा सकता हैं । हर काम को जूनून से करना चाहिए । आप सैंड आर्टिस्ट के रूप में भी जाने जाते हैं । राजकपूर हमेशा समाज को लेकर अपनी कृति को रूप देना चाहते हैं  । इलाहाबाद के संगम तट पर सैकड़ो रेत से बनी हुई कलाकृति की प्रदर्शन कर चुके हैं । जब भी कोई दिवस हो या को शुभ अवसर अथवा समाज से जुड़ीं जागरूकता कार्यक्रम हो तो आप हमेशा अग्रसर रहते हैं । देश के महान स्वतंत्रता सेनानी से लेकर आज के महान विभूतियों को संगम के किनारे रेत के द्वारा बना चुके हैं । पंडित जवाहरलाल नेहरू ,नेल्सन मंडेला , नरेंद्र मोदी , अमिताभ बच्चन , लता जी , अब्दुल कलाम जी सहित अनेको सैंड कृति बना चुके हैं । अगर पेंटिंग की बात की जाय तो उसमे आपका योगदान विशेष रहा हैं । बर्डफ्लू से कम नही जीवन की पीड़ा , वर्निंग ऑफ यूपी , शहीद ,  कॉन्फिडेन्स , अब्दुल कलाम,  सहित अनेको अनेक बनायी हैं । राजकपूर के कलाकृतियों को देश के विभिन्न समाचार पत्रों , इलेक्ट्रानिक न्यूज़ चैनलो सहित एफ एम चैनलो पर समय-समय पर प्रकाशित और प्रसारित होता रहता हैं ।

उनका मानना है कि संगीत में एक चमत्कारिक शक्ति होती है। गांव के मेलों से लेकर नदी के घाट और पशु पक्षियों तक में एक लय व ताल होती है। इसके जरिए रंगों में जीवंतता आती है। पेटिंग और कुछ नहीं बल्कि कविता का एक ऐसा वैकल्पिक माध्यम हैं जिसके जरिए आप अपने विचारों को कैनवास पर चित्रित कर सकते हैं। भावना से प्रेरित होकर उन्होंने जीवन के विभिनन पहलुओं जिनमें पर्यावरणीय से लेकर सामाजिक समरसता तक शामिल है उन्हें उकेरा है। हम अपने जीवन को संगीत से अलग नहीं कर सकते। शायद यही वजह है कि उन्होंने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, पंडित रविशंकर, हरिप्रसाद चौरसिया के पोट्रेट बनाकर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित की है।

चितेरा को अब तक इलाहाबाद , लखनऊ , दिल्ली , चित्रकूट , बनारस , ललित कला अकादमी , अहमदाबाद , चंडीगढ़ सहित अनेको शहरों में स्वयं के चित्रों की प्रदर्शनी व देश की विभिन्न प्रदर्शनियों में हिस्सा ले चुके हैं । इसके लिए राजकपूर चितेरा राष्टीय स्तर के अवार्ड अथवा अनेक संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया जा चुका हैं । आज भी वे निरंतर कार्य में लगे हैं । एक अच्छा चित्रकार वही माना जाता है जो कि हमेशा एक जैसी शैली अपनाए रखता है। समाज में बढ़ती जागरुकता के कारण अब गिलहरी के बालों से तैयार किए जाने वाला ब्रश भी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। इस सबके बावजूद समाज का एक बड़ा वर्ग अब पेंटिग में निवेश करने लगा है। इन्हें भी बहुमूल्य रत्नों की तरह खरीदा जाने लगा है। बड़े घराने व कारपोरेट समूह इसमें विशेष रुचि ले रहे हैं। उनका मानना है कि जब समाज में असहिष्णुता का माहौल बढ़ रहा है तो सामाजिक समरसता लाने में कला बहुत अहम भूमिका अदा कर सकती है।कलाकार की सोच सार्थक हो मेरी ओर से यही शुभकामनाएं हैं ।

गणेश स्कूल की जूही को राज्यस्तरीय बॉक्सिंग स्पर्धा में मिला स्वर्ण पदक

गणेश स्कूल की जूही को राज्यस्तरीय बॉक्सिंग स्पर्धा में मिला स्वर्ण पदक 
जूही को गोल्ड व अर्पिता को ब्रांज मिला ।


जबलपुर में 3 से 4 फरवरी के बीच सम्पन्न हुई 35वीं म.प्र. बॉक्सिंग चैंपियनशिप सीनियर,जूनियर एवं सब जूनियर (महिला वर्ग) में श्री गणेश सीनियर सेकेंडरी स्कूल पड़रा की आठवीं की छात्रा जूही बनर्जी (सब जूनियर) 52 किलोग्राम भार में गोल्ड पदक तो वही 30 किलोग्राम में सातवी की छात्रा अर्पिता सिंह (सब जूनियर) को तीसरे स्थान में ब्रांज से ही संतोष करना पड़ा । सोमवार को विद्यालय पहुचने पर विद्यालय प्रबंधन ने छात्राओं को सम्मानित किया गया ।


जूही को 52 किग्रा.भार वर्ग में जूही बनर्जी ने पहला स्थान हासिल कर गोल्ड मेडल प्राप्त किया । दूसरी किग्रा.भार वर्ग अर्पिता सिंह को ब्रांज पदक मिली । छात्राओं के विद्यालय पहुंचने पर सोमवार को सफलता के लिए विद्यालय प्रबंधन ने छात्राओं को बधाई दी है । मैनेजिंग डायरेक्टर नीरज शर्मा, मैनेजर अरुण ओझा व प्राचार्य महेंद्र तिवारी, शिक्षिका अर्चना मिश्रा एवं पीटीआई माखनलाल चतुर्वेदी ने जूही को तिलक माल्यार्पण कर भव्य स्वागत किया और उज्जवल भविष्य की कामना किया। इस अवसर पर नीरज शर्मा ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात हैं जूही ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीतकर विद्यालय का गौरव बढ़ाया हैं । छात्रा जूही बनर्जी ने कहा कि कड़ी मेहनत का नतीजा है कि आज गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रही हूं। जूही की मां सुप्रिया बनर्जी अपनी बेटी के अचीवमेंट पर बहुत खुश थीं। उन्होंने कहा कि जूही के पिता ने बेटी के लिए जो सपना देखा था, आज वह उनकी दोनों बेटियां पूरा कर रही है। मैं बेटी के अचीवमेंट पर बहुत खुश हूं। यह कहना चाहती हूं कि बेटियां किसी से कम नहीं होतीं, बस उन्हें मौका मिलना चाहिए । सम्बंधित जानकारी राजकपूर चितेरा ने दिया ।

रविवार, 5 फ़रवरी 2017

विश्व कैंसर दिवस

चितेरा ने फेस पेंटिंग के जरिये दिखाया कैंसर का दुष्प्रभाव

कैंसर महामारी को दिखाया फेस पेंटिंग में ।
कैंसर जागरूकता ही कलाकार का उद्देश्य हैं ।
आमतौर पर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की वजह तंबाकू ही माना जाता है, लेकिन जिंदगी में कुछ एहतियात बरतने से भी कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है । कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में बताना और लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करके काबू व इससे बचाव संभव है। इसी उद्देश्य को लेकर शुक्रवार को विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्व कैंसर दिवस की पूर्वसंध्या के मौके पर श्री गणेश सीनियर सेकेंडरी स्कूल पड़रा में कला अध्यापक व प्रसिद्ध चित्रकार राजकपूर चितेरा ने स्कूल के छात्राओं के फेस पर पेंटिंग कर कैंसर रोग अथवा बचाव के बारे में आमजन में जागरुकता का संदेश दिया । विद्यार्थियों को भविष्य में तंबाकू , शराब आदि का सेवन करना न करने का संकल्प दिलाया गया ।
आधुनिक विश्व में कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे सबसे ज़्यादा लोगों की मृत्यु होती है। विश्व में इस बीमारी की चपेट में सबसे अधिक मरीज़ हैं। कैंसर के प्रति लोंगो को जागरूकता का संदेश देने के लिये शहर के श्री गणेश स्कूल के चित्रकार राजकपूर चितेरा ने अध्ययनरत छात्राओं में अर्पिता विश्वास, ज्योति साहू, श्रेया शुक्ला, शिवानी शुक्ला के फेस पर जागरूकता संबंधी व उसके दुष्प्रभाव को फेस पेंटिंग के जरिये दिखाने की कोशिश की हैं । कलाकार चितेरा के द्वारा बनाई गई फेस पेंटिंग में एक बिच्छू का चित्र हैं जो कैंसर जैसी भयावह बीमारी के बाद दुष्प्रभाव की ओर संकेत कर रही हैं । वही दूसरी तरफ महामारी रूपी डायन का चित्र मृत्यु को दिखा रही हैं । चित्रो के जरिये बचाव के तरीकों को श्लोगान के जरिये दिखाया हैं । चित्रों में रंगों का चयन विषय के अनुसार किया गया हैं । सब मिला के कहे तो इस चित्रकार का उद्देश्य हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग कैंसर रोग के प्रति जागरूक हो । इस मौके पर कलाकार चितेरा ने बताया कि फेस पेंटिंग के जरिये मेरी जो उद्देश्य हैं वह लोगों में अवेरनेस से हैं । राजकपूर चितेरा ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए आहार, विहार एवं विचार को संयमित एवं संतुलित होना चाहिए। जीवन में व्यायाम प्रतिकार क्षमता को बढ़ाता है। स्वस्थ होने से सोच भी स्वस्थ होती है। ऐसी भावना स्वयं को सुखी रखती है और दूसरों की मदद के लिए भी प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि स्वयं सेवी संस्थायें आंदोलन चलाकर समाज को प्रोत्साहित करें तभी विश्व कैंसर दिवस सार्थक होगा।

विद्यालय के संचालक नीरज शर्मा ने मादक द्रव्यों का सेवन से परहेज करने की अपील करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में कैंसर आनुवंशिक बन जाता है । उन्होंने कहा कि आज के दिन कम से कम एक व्यक्ति नशा त्यागने का संकल्प लें । मैनेजर अरुण ओझा ने कहा कि कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए व्यक्ति को नियमित व्यायाम करना चाहिए। वहीं खान पान में भी सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने गुटखाव तम्बाकू उत्पादों का सेवन नहीं करने की बात कही। विद्यालय के प्राचार्य महेंद्र तिवारी ने छात्रों से भविष्य में कभी सेवन न करने का बच्चो को संकल्प दिलाया और कैंसर के बारे में बच्चों को जानकारी दिया । कार्यक्रम में विद्यालय के छात्र-छात्राओं सहित समस्त शिक्षकगण मौजूद थे।